श्री भगीरथ नन्दिनि गंगा माता की आरती
जय जय भगीरथ नन्दिनि, मुनि-चय चकोर-चन्दनि,नर-नाग-बिबुधबंदिनि, जय जहनु बालिका।
बिस्नु-पद-सरोजजासि, ईस-सीसपर बिभासि,
त्रिपथगासि, पुन्यरसि, पाप-छालिका।।
बिमल बिपुल बहसि बारि, सीतल त्रयताप-हारि,
भँवर बर, बिभंगतर तरंग-पालिका।
पुरजन पूजोपहार-सोभित ससि-धवल धार,
भंजन भव-भार, भक्ति-कल्प-थालिका।।
निज तट बासी बिहंग, जल-थल-चर-पसु-पतंग,
कीट, जटिल तापस, सब सरिस पालिका।
तुलसी तव तीर तीर सुमिरत रघुबंस-बीर,
बिचरत मति देहि मोह-महिष-कालिका।।