श्री गजवदन विनायक की आरती
आरती गजवदन विनायक की।सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥ टेक।।
एकदंत शशिभाल गजानन,
विघ्नविनाशक शुभगुण कानन,
शिवसुत वन्द्यमान-चतुरानन,
दु:खविनाशक सुखदायक की॥
सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥
ऋद्धि-सिद्धि स-वामी समर्थ अति,
विमल बुद्धि दाता सुविमल-मति,
अघ-वन-दहन, अमल अविगत गति,
विद्या-विनय-विभव दायक की॥
सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥
पिंगलनयन, विशाल शुंडधर,
धूम्रवर्ण शुचि वज्रांकुश-कर,
लम्बोदर बाधा-विपत्ति-हर,
सुर-वन्दित सब विधि लायक की॥
सुर-मुनि-पूजित गणनायक की॥