प्रेतराज सरकार की आरती
जय प्रेतराज कृपालु मेरी अरज अब सुन लीजिये।मैं शरण तुम्हारी आ गया हूँ, नाथ दर्शन दीजिये।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
मैं करूं विनती आपसे अब, तुम दयामय चित धरो।
चरणों का ले लिया आसरा, प्रभु वेग से मेरा दुःख हरो।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
सिर पर मोर मुकुट कर में धनुष, गलबीच मोतियन माल है।
जो करे दर्शन प्रेम से सब, कटत तन के जाल हैं।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
जब पहन बख्तर ले खड़ग, बांई बगल में ढाल है।
ऐसा भयंकर रूप जिनका, देख डरपत काल है।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
अति प्रबल सेना विकट योद्धा, संग में विकराल हैं।
तब भुत प्रेत पिशाच बांधे, कैद करते हाल हैं।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
तब रूप धरते वीर का, करते तैयारी चलन की।
संग में लड़ाके ज्वान जिनकी, थाह नहीं है बलन की।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
तुम सब तरह समर्थ हो, प्रभु सकल सुख के धाम हो।
दुष्टों के मारनहार हो, भक्तों के पूरण काम हो।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
मैं हूं मती का मन्द मेरी, बुद्धि को निर्मल करो।
अज्ञान का अन्धेर उर में, ज्ञान का दीपक धरो।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
सब मनोरथ सिद्ध करते, जो कोई सेवा करे।
तन्दुल बूरा घृत मेवा, भेंट ले आगे धरे।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
सुयश सुन कर आपका, दुखिया तो आये दूर के।
सब स्त्री अरू पुरूष आकर, पड़े हैं चरण हजूर के।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
लीला है अद्भुत आपकी, महिमा तो अपरंपार है।
मैं ध्यान जिस दम धरत हूँ , रच देना मंगलाचार है।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
सेवक गणेशपुरी महन्त जी, की लाज तुम्हारे हाथ है।
करना खता सब माफ, उनकी देना हरदम साथ है।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
दरबार में आओ अभी, सरकार में हाजिर खड़ा।
इन्साफ मेरा अब करो, चरणों में आकर गिर पड़ा।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
अर्जी बमूजिब दे चुका, अब गौर इस पर कीजिये।
तत्काल इस पर हुक्म लिख दो, फैसला कर दीजिए।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
महाराज की यह स्तुति, कोई नेम से गाया करे।
सब सिद्ध कारज होय उनके, रोग पीड़ा सब टरे।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।
सुखराम सेवक आपका, उसको नहीं बिसराइये।
जै जै मनाऊं आपकी, बेड़े को पार लगाइये।।
जय प्रेतराज कृपालु...।।