श्री योगेश्र्वरी माता की आरती
धन्य अंबापुर महिमा विचित्र।
पार्वती अवतार योगिनी क्षेत्र।
दंतासुर मर्दोनि केलें चरित्र।
सिद्धांचे स्थळ ते महा पवित्र।
जयदेवी जयदेवी जययोगेश्र्वरी।
महिमा न कळे तुझा वर्णिता थोरी।
जयदेवी जयदेवी॥
पतित पावन सर्व तीर्थ महाद्वारीं।
माया मोचन सकळ माया निवारी।
साधका सिद्धि वानेच्या तीरीं।
तेथील महिमा वर्णूं न शके वैखरी।
जयदेवी जयदेवी जययोगेश्र्वरी।
महिमा न कळे तुझा वर्णिता थोरी।
जयदेवी जयदेवी॥
सिद्ध लिंग स्थळ परम पावन।
नरसिंह क्षेत्र तेथें नृसिंह वदन।
मूळ पीठ रेणागिरी नांदे आपण।
संताचें माहेर गोदेवी स्थान।
जयदेवी जयदेवी जययोगेश्र्वरी।
महिमा न कळे तुझा वर्णिता थोरी।
जयदेवी जयदेवी॥
महा रुद्र जेथें भैरव अवतार।
काळभैरव त्याचा महिमा अपार।
नागझरी तीर्थ तीर्थांचें सार।
मार्जन करितां दोष होती संहार।
जयदेवी जयदेवी जययोगेश्र्वरी।
महिमा न कळे तुझा वर्णिता थोरी।
जयदेवी जयदेवी॥
अनंतरुप शक्ति तुज योग्य माते।
योगेश्र्वरी नाम त्रिभुवन विख्याते।
व्यापक सकळां देहीं अनंत गुण भरिते।
नीलकंठ ओवाळूं कैवल्य माते।
जयदेवी जयदेवी जययोगेश्र्वरी।
महिमा न कळे तुझा वर्णिता थोरी।
जयदेवी जयदेवी॥