हिंदू पंचांग के आश्विन माह के कृष्णपक्ष की अंतिम तिथि यानी अश्विनी अमावस्या। पितृ पक्ष का यह अंतिम दिन होता है और इसे सर्व पितृ अमावस्या के नाम से जाना जाता है। इस दिन उनका तो श्राद्ध किया ही जाता है, जिनका निधन अमावस्या तिथि को हुआ हो, साथ ही उनके श्राद्ध का भी विधान है, जिनके निधन की तिथि ज्ञात न हो। आश्विन अमावस्या में पितर पृथ्वी लोक पर आते हैं और अपने हिस्से का भाग अवश्य किसी ना किसी रुप में ग्रहण करते हैं। सभी पितर इस समय अपने वंशजों के द्वार पर आकर अपने हिस्से का भोजन सूक्ष्म रुप में ग्रहण करते हैं।
अश्विनी अमावस्या पूजा 2020 के तारीख व कैलेंडर:
त्यौहार के नाम | दिन | त्यौहार के तारीख |
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अश्विनी अमावस्या पूजा | रविवार | 15 नवंबर 2020 |
भोजन में जो भी खिलाया जाता है वह पितरों तक पहुंच ही जाता है। यहाँ पितरों से अभिप्राय ऎसे सभी पूर्वजों से है जो अब हमारे साथ नहीं है लेकिन श्राद्ध के समय वह हमारे साथ जुड़ जाते हैं और हम उनकी आत्मा की शांति के लिए अपनी सामर्थ्यानुसार उनका श्राद्ध कर के अपनी श्रद्धा को उनके प्रति प्रकट करते हैं।