वर्ष में आने वाली कुल 12 संक्रांति में मेष संक्रांति का महत्वपूर्ण स्थान है। मेष संक्रांति को वैशाख संक्रांति के रूप में भी जाना जाता है। हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में शामिल मेष संक्रांति पर दान एवं स्नान का विशेष महत्व है। इस दिन नए अन्न का दान किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि मेष संक्रांति के दिन संक्रांति से चार घंटे पूर्व और चार घंटे बाद तक पुण्यकाल रहता है।
मेष संक्रांति पूजा 2023 के तारीख व कैलेंडर:
त्यौहार के नाम | दिन | त्यौहार के तारीख |
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मेष संक्रांति पूजा | शुक्रवार | 14 अप्रैल 2023 |
भारत के अलग-अलग राज्यों में मेष संक्रांति को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इस पुण्यकाल में स्नान-दान और पितरों का तर्पण अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। मेष संक्रांति के दिन सूर्य की उपासना के साथ-साथ गुड़ और सत्तू सेवन करने का भी विधान है। मेष संक्रांति पर भगवान शिव, भगवान विष्णु और मां काली का पूजन करें। इस दिन सात्विक भोजन ग्रहण करें।