देशभर में वट पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा है। ज्येदष्ठष माह में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को वट पूर्णिमा कहते हैं। इस दिन वट यानि की बरगद के पेड़ की पूजा की जाती है। इस व्रत का संबंध सती सावित्री से है जिसने यमराज से अपने के प्राण वापस मांग लिए थे। यही वजह है कि विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-सौभाग्य के लिए इस व्रत को रखती हैं। वटवृक्ष के मूल में ब्रह्मा, मध्य में विष्णु तथा अग्रभाग में शिव का वास माना गया है। यह पेड़ लंबे समय तक अक्षय रहता है, इसलिए इसे 'अक्षयवट' कहते हैं। अखंड सौभाग्य और आरोग्य के लिए वटवृक्ष की पूजा की जाती है।
वट पूर्णिमा व्रत 2023 के तारीख व कैलेंडर:
त्यौहार के नाम | दिन | त्यौहार के तारीख |
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वट पूर्णिमा व्रत | शनिवार | 3 जून 2023 |
वट पूर्णिमा व्रत पूजा समय :
पूर्णिमा तिथि शुरू : 11:15 - 3 जून 2023
पूर्णिमा तिथि ख़त्म : 09:10 - 4 जून 2023
इस दिन सुबह उठकर स्नाभन करने के बाद सच्चे मन से व्रत का संकल्पृ लेना चाहिए। इस दिन की पूजा वट वृक्ष के नीचे की जाती है। पूजा के लिए एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रखे जाते हैं, जबकि दूसरी टोकरी में देवी सावित्री की प्रतिमा रखी जाती है. वट वृक्ष पर जल चढ़ा कर कुमकुम और अक्षत अपर्ण किया जाता है। फिर सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर उसके सात चक्कयर लगाए जाते हैं। इसके बाद वट सावित्री की कथा सुनने के बाद चने-गुड़ का प्रसाद दिया जाता है. सुहागिन महिलाओं को वट वृक्ष पर सुहाग का सामान भी अर्पित करना चाहिए।