वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को सीता नवमी कहते हैं। धर्म ग्रंथों के अनुसार, इसी दिन माता सीता का प्राकट्य हुआ था। इसे पर्व को जानकी नवमी भी कहते हैं। वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर पुष्य नक्षत्र में जब राजा जनक संतान प्राप्ति की कामना से यज्ञ की भूमि तैयार करने के लिए भूमि जोत रहे थे, उसी समय उन्हें पृथ्वी में दबी हुई एक बालिका मिली।
सीता नवमी पूजा 2024 के तारीख व कैलेंडर:
त्यौहार के नाम | दिन | त्यौहार के तारीख |
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सीता नवमी | गुरूवार | 16 मई 2024 |
सीता नवमी पूजा समय :
नवमी तिथि शुरू : 06:20 - 16 मई 2024
नवमी तिथि ख़त्म : 08:50 - 17 मई 2024
जोती हुई भूमि को तथा हल की नोक को सीता कहते हैं। इसलिए उस बालिका का नाम सीता रखा गया। इस दिन वैष्णव संप्रदाय के भक्त माता सीता के निमित्त व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं। ऐसा कहते हैं जो भी इस दिन व्रत रखता व श्रीराम सहित माता सीता का पूजा करता है। उसे पृथ्वी दान का फल, सोलह महान दानों का फल, सभी तीर्थों के दर्शन का फल अपने आप मिल जाता है। इसलिए इस दिन व्रत अवश्य करना चाहिए।