प्रतिवर्ष, ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की नवमी को "महेश नवमी" का उत्सव मनाया जाता है। यह नवमी माहेश्वरी समाज की उत्पत्ति का दिन है। यह उत्सव 'महेश' यानि शिव और माता पार्वती की आराधना को समर्पित है। परंपरागत मान्यता के अनुसार माहेश्वरी समाज की वंशोत्पत्ति युधिष्ठिर संवत 9 के जेष्ठ शुक्ल नवमी को हुई थी, तबसे माहेश्वरी समाज प्रतिवर्ष की जेष्ट शुक्ल नवमी को "महेश नवमी" के नाम से माहेश्वरी वंशोत्पत्ति दिन के रूपसे बहुत धूम धाम से मनाता है।
महेश नवमी 2025 के तारीख व कैलेंडर:
त्यौहार के नाम | दिन | त्यौहार के तारीख |
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महेश नवमी | बुधवार | 4 जून 2025 |
महेश नवमी पूजा समय :
नवमी तिथि शुरू : 21:55 - 3 जून 2025
नवमी तिथि ख़त्म : 23:55 - 4 जून 2025
सावित्री को भारतीय संस्कृति में ऐतिहासिक चरित्र माना जाता है। सावित्री का अर्थ वेद माता गायत्री और सरस्वती भी होता है। इस व्रत में वट वृक्ष का बहुत खास महत्व होता है जिसका अर्थ है बरगद का पेड़। इस पेड़ में काफी शाखाएं लटकी हुई होती है जिन्हें सावित्री देवी का रूप माना जाता है। पुराणों के अनुसार बरगद के पेड़ में तीनों देव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है। इसलिए इस पेड़ की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।