How To Get Jobs In Private Banks Of India
लंबे समय तक पब्लिक सेक्टर बैंक करियर के लिहाज से युवाओ को आकर्षित करती आ रही थी । प्राइवेट बैंको के आने के बाद कई युवा इनमे करियर बनाने को भी उत्सुक देखे जा सकते हैं । यहा ली कार्यशैली तथा कर्मचारी से अपेक्षा पब्लिक सैक्टर बैंको के मुक़ाबले ज़रा अलग होती हैं ।
प्राइवेट बैंको मे रिक्रुटमेन्ट की नोटिफ़िकेशन बैंक की वेबसाइट्स जॉब पोर्टल्स आदि पर दी जाती हैं । इसके अलावा क्न्सल्टेन्सी के जरिये भी इंटरव्यू आर्गेनाइस किए जाते हैं । प्राईवेट बैंको मे एकोनामी और एकाउंट्स की जानकारी के साथ-साथ स्मार्ट पर्सनेलिटी वाले लोगो को भी प्राथमिकता दी जाती हैं ।
" प्राइवेट बैंको की रिक्रुटमेन्ट प्रोसेस पब्लिक सेक्टर बैंको के मुक़ाबले ज़रा अलग होती हैं । सरकारी बैंक आज भी अपनी जगह कायम हैं लेकिन अब प्राइवेट बैंक भी बेहतर करियर ऑप्शन के तोर पर युवाओ को आकर्षित कर रहे हैं । "
पापुलर पोस्ट्स (Popular Posts)
पब्लिक सैक्टर के बैंको की तरह प्राइवेट बैंको मे भी प्रोंबेशनरी ओफिसर्स होते हैं इन्हे कई सेक्शन मे काम पर लगाया जाता हैं, मसलन ट्रेड फाइनेस प्रिविलेज बैंकिंग इनवेस्टमेंट बैंकिंग रुरल इंक्लूसिव बैंकिंग रिटेल बैंकिंग आदि । इसके अलावा सेल्स मैनेजर के लिए भी पीकृटमेंट होती हैं। फ्रेशसर को ज़्यादातर बैंको मे मैनेजमेंट ट्रेनी या एग्जीक्यूटिव के रूप मे भर्ती किया जाता हैं।
एलीजीबिलिटी (Eligibility )
आम तोर पर हायर पोस्टरस के लिए एमबीए (फाइनेंस या मार्केटिंग) और जूनियर पोस्टर्स के लिए कॉमसर ग्रेजुएट या फिर ग्रेजुएट के साथ-साथ कम्प्युटर नॉलेज जरूरी होता हैं। कही-कही सेल्स ओफिसर/एग्जीक्यूटिव या फोन बैंकिंग ऑफिसर के लिए अंडर ग्रेजुएट या 10+2 होना भी पर्याप्त होता है। एज लिमिट अमूमन 18 से 28 साल होती है । कुछ बैंकों में अधिकतम आयु सीमा 25 साल ही हैं। पोबेशनरी ओफिसर्स के लिए कई बैंको मे लंबी पेड़ ट्रेनिग के बाद अपाइंटमेंट होता हैं।
सिलेक्शन प्रोसेस (Selection Process)
सिलेक्शन के लिए अमूमन चार राउंड होते हैं: एपटीटरयूड टेस्ट, ग्रुप डिसक्शन, साइकोमेट्रिक प्रोफाइलिंग और पर्सनल इंटरव्यू । कभी-कभी पोस्टर्स के हिसाब से भी कुछ नए राउंड डाल दिए जाते हैं।
एप्टीट्रयूड टेस्ट :
यह सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक के रिट्न एग्जाम की तरह होता हैं। इसमे न्यूमेरिकल, वार्बल कमीपीहेशन, लाजिकल रीजनिंग एंड बेसिक चेकिंग एबिलिटीज़ के सेक्शन होतो हैं।
ग्रुप डिस्कशन :
इसके तहत किसी केस स्टडी या टॉपिक पर ग्रुप डिस्कशन कराया जाता हैं। इसमे कैंडीडेट की एनालिटिकल और प्रॉबलम सलिविंग एबिलिटी की परखा की जाती हैं।
साइकोमेटिक प्रोफाइलिंग :
इस राउंड में कैंडिडेट्स को एक साइकोलॉजिकल क्वेश्चेनर फॉर्म दिया जाता है, जिसके आंसर उन्हें लिखने होते है। इसमें सही या गलत का आकलन नहीं किया जाता है, बल्कि पर्सनैलिटी की क्वालिटीज इवैलुएट की जाती है।
पर्सनल इंटरव्यू :
फ़ाइनल राउंड यानि पर्सनल इंटरव्यू में आम तौर पर बैंकिंग की समझ और बैकग्राउंड के बारे मे सवाल मे पूछे जाते हैं। किसी भी प्राइवेट बैंक के बारे पर बैंकिंग सेक्शन में जाकर वेकेंसीज और रिक्रूटमेंट के बारे में जानकारी ली जा सकती है ।